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बेबी...लेट मी किल यू ! ( चैप्टर - 2 )

                            चैप्टर - 2



[ पूर्वाभास ]

अब तक आपने पढ़ा कि " नैनीताल " के एक मशहूर नामी - गिरामी घराने में शादी हैं जिसका दुल्हा " रुद्राक्ष माहेश्वरी " एक जाना - माना बिज़नेस मैन अपनी दोस्त " युक्ता गोयंका " से शादी कर रहा और सभी मशहूर अरबपतियों और रसूखदार लोगों की आवा जाही लगी हुई हैं घर के बाहर पत्रकारों और मीडिया का जमावड़ा लगा हैं और जैसे ही रुद्राक्ष अपनी दुल्हन के मांग में सिन्दूर भरता हैं ठीक उसी वक्त सीढ़ियों से भागते हुए युक्ता नीचे आती हैं और रुद्राक्ष को सिंदूर भरने से रोकती हैं मगर तब तक देर हो चुकी थी।
सारे मेहमान चौंके हुए से मंडप में घूंघट में बैठी दुल्हन को देख सोचते हैं आखिर वो है कौन?
कब रुद्राक्ष घूंघट उठाता हैं तो देखता हैं घूंघट के पीछे एक सांवली सूरत वाली खूबसूरत लड़की बैठी होती हैं और इस वक्त वो रुद्राक्ष को अपनी बड़ी बड़ी आंखों से डर और मासूमियत से देख रही होती हैं। 

•••आगे••• 

इस वक्त पूरे हॉल में खुसुर फुसुर की आवाज़ें गूंज रही थी आखिर हो भी क्यों ना , बैठे बिठाए दुल्हन जो बदल गई। रुद्राक्ष कि दादी " संयुक्ता माहेश्वरी" के तो नसों में मानों इस वक्त खून की जगह सांप दौड़ रहा , उनके चेहरे पर आई बुढ़ापे की सफ़ेदी जो हमेशा शान से चमकती थी अब फीकी पड़ चुकी थी। वहीं रुद्राक्ष के चाचा वहां पर आए मेहमानों को देख अपने गार्ड्स को ऑर्डर दे रहे थे सभी पत्रकारों और मीडिया को वहां से हटाने के लिए। रुद्राक्ष के चाचा " जगत नारायण माहेश्वरी " जो एक रिटायर्ड बिज़नेस मैन हैं अर्थात् उन्होंने अब बिज़नेस करना छोड़ दिया हैं या कहा जाए तो छोड़ना चाहते हैं और बस अपने परिवार के साथ वक्त बिताना चाहते हैं मगर " माहेश्वरी'ज बिज़नेस " उनका पीछा नहीं छोड़ रहा।
रुद्राक्ष आज भी अपने चाचा से पूछे बिना कोई डील नहीं करता। 

" रुद्राक्ष ये कौन हैं..और ये मेरी जगह क्यों...?" युक्ता रोते हुए गुस्से में रुद्राक्ष के सामने जाती हैं और चीखते हुए उससे जवाब मांगने लगती हैं जिसका जवाब इस वक्त ख़ुद रुद्राक्ष के पास नहीं था वो तो उस बिन बुलाए दुल्हन को देख बस यही सोच रहा था आखिर ये हैं कौन!?रुद्राक्ष अभी भी उस लड़की का घूंघट थामे उसी अवस्था में खड़ा था मानों किसी ने उसे किसी बर्फ़ के आलमारी में बंद कर दिया हों और उसके अंदर अब चलने बोलने की कोई शक्ति ही ना बची।उसके होंठ सुख चुके थे , कांटो तो खून नहीं वाली कहावत आज रुद्राक्ष पर ख़ूब बखूबी बैठ रही थी। रुद्राक्ष की दादी अपने सिर हो संभालते हुए उसके पास जाती हैं। 

" रुद्राक्ष ये क्या हैं?" संयुक्ता जी की आवाज़ पूरे हॉल में गूंज जाती हैं और उनकी वो तिखीं - तेज़ , रसूखदार आवाज़ सुन बिजली की तेज़ी से उस " अनजान दुल्हन " के घूंघट को यूं छोड़ फेंकता हैं जैसे वो घूंघट , घूंघट नहीं बल्कि एक अजगर हों। 

" हम कुछ पूछ रहे हैं रुद्राक्ष।" अबकी बार संयुक्ता जी ने अपने लहज़े में और गर्मी लेकर तमतमाती आवाज़ में पूछी।उनकी आवाज़ सुन बाहर गार्ड्स को ऑर्डर देते जगत नारायण तुरंत हॉल में आते हैं और अपनी पत्नी " रेणुका माहेश्वरी "  की ओर देखते हैं उनकी पत्नी उन्हे देख आंखो ही आंखो में उन्हें ," कुछ ठीक नही हैं..?" इशारा करती हैं। 

" मुझे नहीं मालूम..." धीमी आवाज में रुद्राक्ष अपने पक्ष में कुछ कहने वाला था मगर उसकी आवाज़ युक्ता अपनी तेज़ आवाज़ में दबा देती हैं -" तुम्हें मालूम नहीं और ये लड़की "  महेश्वरी'ज पैलेस " में घुस कर मेरी जगह यहां मंडप में आ गई और तुम्हे पता भी नही.. इंपॉसिबल रुद्राक्ष.... इंपॉसिबल!" युक्ता हकारत भरी आवाज़ में गुस्से में किसी ताल से निकली मछली की तरह फड़फड़ा रहा थी।रुद्राक्ष अपनी दादी की ओर देखता हैं। 

" मुझे नहीं मालूम ये कौन हैं कहां से आई हैं और इसका मक़सद क्या हैं।" रुद्राक्ष तिलमिलाते हुए बोल रहा था मगर वहां उसका विश्वास करता भी कौन ,वो जानता था जब तक वो लड़की ख़ुद अपने मुंह से नहीं बोलती वो कौन हैं और क्यों दुल्हन की जगह ख़ुद बैठी हैं तब तक उसपे कोई विश्वास करेगा भी नहीं।
रुद्राक्ष उस अनजान दुल्हन की ओर देखता हैं क्रोध से उसका मुंह विकृत हो गया था -" कौन हो तुम ?" 

रुद्राक्ष के सवाल पर वो लड़की कुछ नहीं कहती बस उसे एकटक देखती रह जाती हैं, वहां पर उपस्थित सभी को जवाब जानने की तलब थी ताकि पता तो चले हैं कौन ये आखिर। 

" हम सब कुछ पूछ रहे कौन हो तुम।" संयुक्ता जी अबकी बार उस लड़की के आगे आते हुए पूछी।मगर फिर वही जवाब में उस लड़की ने अपने मुंह से " चूं " तक निकालने की जहमत न की बस सबको देखती रही। 

" गूंगी हो क्या।" युक्ता गुस्से में उस लड़की पर चीख रही थी तभी वो लड़की सबको एक बार देख फिर पूरे घर में अपनी सरसरी निगाह दौड़ा कर अपनी जगह से आगे आती है और युक्ता की ओर देखती हैं। 

" ऐसे देख क्या रही कब से पूछ रही हू कौन हो तुम और यहां मेरे रुद्राक्ष के बगल में क्यों बैठी हों।" अब युक्ता से उस अनजान दुल्हन की चुप्पी सहन नहीं हो रही थी कब से वो चिल्ला रही थी मगर वो दुल्हन बस उसे देख रही थी थक हार कर युक्ता जब उस लड़की की ओर गुस्से में बढ़ने लगती हैं तभी वो अपने होठों को हिलाने की जहमत करती हैं -" मेरे भाई कहते हैं ..सही जगह और सही वजह पर बोलना ज़रूरी हैं, वरना चुप रहना ही बेहतर हैं इसका ये मतलब हैं कि मैं न तो तुम्हारे सवाल को ज़रूरी समझती हूं और न ही तुम्हे जवाब देना।" उस लड़की का जवाब सुन सभी स्तब्ध रह जाते हैं।रुद्राक्ष गुस्से में उस लड़की के पास जाता हैं और उसके बाजुओं पर झप्पटा मार कर अपने पंजों में कस लेता हैं।उसके ऐसा करने पर वो लड़की चिहुंक जाती हैं , रुद्राक्ष गुस्से में उस लड़की के बाजुओं को जकड़ने लगता हैं जिसके दर्द के आभास से वो अपनी आंखे मिच लेती हैं ,वो उसे झकझोरते हुए पुछता हैं -" बताओ...किस लिए यहां आई हो।" 

" रुद्राक्ष......!" 

एक आवाज़ पूरे हॉल को एकदम खामोश कर देती हैं वो तीखी आवाज़ जैसे ही रुद्राक्ष के कानों में जाती हैं वो पीछे मुड़ता हैं सबकी नज़र उस आवाज़ के मालिक पर जाती हैं वो रुद्राक्ष के चाचा थे जो उनके सामने हो रहे एक लड़की का अपमान नहीं देख पाए और उसके खिलाफ़ अपनी आवाज़ उठा दी। 

" जी चाचा जी...!" रुद्राक्ष ने अपने चाचा जी की ओर देख बोलता है। 

" छोड़िए उन्हे !" जगत नारायण जी ने गुस्से में रुद्राक्ष के हाथों को देखते हुए कहते है जो इस वक्त उस अनजान दुल्हन के बाजुओं पर बड़ी ही बेरहमी से कसे हुए थे , और उसके बाजू के दर्द से वो अनजान दुल्हन कराह रही थी। रुद्राक्ष पहले अपने चाचा जी को देखता हैं फिर उस अनजान दुल्हन को जिसे देख उसका चेहरा विकृत हो उठा और फिर दुबारा उसने अपने चाचा जी की ओर देखा। 

" पर चाचा जी...." रुद्राक्ष आगे कुछ बोल पाता इससे पहले ही जगत नारायण जी ने अपने हाथों को सामने कर उसकी बात काट देते है।

" क्या आप हमारे संस्कार भूल गए..?" जगत नारायण जी रुद्राक्ष के पास आते हुए कहते हैं -" ये लड़की जिस भी मकसद से आई हो पर अब पत्नी है आपकी। और अगर इन्हें बाहर निकाल फेकेंगे मीडिया की नजर आप पर होगी तो आपने सोचा हैं पूरे माहेश्वरी परिवार की थू थू होगी नैनीताल में।" 

" पर इस लड़की का क्या?" रुद्राक्ष व्याकुलता से अपने चाचा जी को देखता बोला। 

" इसका फैसला कल होगा , अब इससे आगे कोई कुछ नहीं बोलेगा।" एक सपाट सहज लहजे में जगत नारायण जी ने अपना आखरी फैसला सुना दिया , मगर अब भी रुद्राक्ष ने उस अनजान दुल्हन के बाजुओं को छोड़ा नहीं था बल्कि गुस्से में बाजू को कस रहा था तभी एक तीखी आवाज़ के साथ जगत नारायण जी गुस्से में चीखे -" रुद्राक्ष ....छोड़ो!" 

रुद्राक्ष ने उस लड़की का हाथ बड़ी ही बेरहमी से झटक दिया और तिलमिलाते हुए अपने कमरे की ओर जाने लगा मगर फिर वो रुका और पीछे की ओर मुड उसने उस " अनजान दुल्हन " को देखा उसके बाद वो अपने कमरे में न जाकर बल्कि अपने घर में ही बने हुए ऑफिस में चला गया और जाकर उसने दरवाजे को इतनी तेज़ बंद किया जिसकी आवाज़ पूरे घर में होते हुए हॉल तक आई। 

" हमारा पोता उसे कभी नही अपनाएगा।" दादी तिलमिलाते हुए उस लड़की को देखती हैं जो इस वक्त आंखो में आंसू लिए अपने हाथ को सहला रही थी , और इस वक्त सबको उसका यहां आने का कारण जानना था उसके चेहरे का भोलापन तो किसी को दिख ही नही रहा था ।दादी युक्ता के ओर बढ़ अपना हाथ उसके चेहरे पर ले जाने वाली होती हैं मगर युक्ता गुस्से में वहां से निकल जाती हैं उसी जोड़े में ,बिखरे बाल और चेहरे पर अपमान के भाव लिए। 

हॉल में इस वक्त सब खामोश था धीरे धीरे सभी वहां से चले गए पूरा हॉल सजा हुआ था मगर वहां मातम के मौहोल सी शांति छाई हुई थी। अंततः वहां सिर्फ वो अनजान दुल्हन और जगत नारायण जी बचते हैं वो वहां से हाथ बंधे जाने लगते हैं फिर रुक कर बिना उस दुल्हन को देखे कहते हैं -" यहां से दाएं जाकर तीसरा कमरा , मेहमानों का हैं , दर्द हो रहा होगा रुद्राक्ष की ओर से हम माफ़ी मांगते हैं।" और इतना बोल वो वहां से चले जाते हैं वो लड़की अपने बिखरे हुए दुपट्टे को सही कर अपने आंसुओ को पोंछ कर लड़खड़ाते पैरो से सीढ़ियों की ओर जाती हैं और जैसे ही पहले सीढ़ी पर चढ़ती हैं उसके चेहरे के भाव कुछ यूं गायब हो जाते हैं जैसे मानो रोना तो उसने कभी सीखा ही ना हो , अपने हाथों से गालों पर आते कुछ आंसू के बूंद को वो अपने हाथों पर लेती हैं और उसे देखते हुए उसके चेहरे पर एक रहसमई मुस्कान आ जाती हैं -" हम्म....मैं क्यों जाऊ मेहमानों के कमरे में ससुर जी...मैं तो जाऊंगी अपने डार्लिंग सईया जी के कमरे में ,सुहाग रात जो हैं अभी शादी तो यादगार हो गई अब सुहाग रात की बारी।" और इतना बोल वो हर ओर नज़र घुमाते हुए एक एक चीज़ को देख बिल्कुल सही ओर जा रही थी और उसके कानों में एक आवाज़ गूंज रही थी मानों जैसे उसे समझा रहा हों की कब और कैसे उसे कहां जाना हैं , वो सोचते हुए अपने ख्यालों में डूब जाती हैं। 

कुछ घंटों पहले...... 

•••••••••• 

क्यू आई है ये अनजान दुल्हन रुद्राक्ष की जिंदगी में....क्या रूद्राक्ष का पास्ट जुड़ा है इससे? या फिर इसका कोई और मकसद है जानने के लिए पढ़ते रहिए " बेबी लेट मी किल यू  "

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6 Comments

Gunjan Kamal

13-Feb-2023 10:42 AM

बेहतरीन

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अदिति झा

12-Feb-2023 04:55 PM

Nice part 👌

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बेहतरीन

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